हमले के बाद सन्नाटा, अमरनाथ यात्रा से पहले पहलगाम की धड़कन थमी!

अजमल शाह
अजमल शाह

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले के बाद घाटी के इस प्रमुख पर्यटन स्थल पर अब भी सन्नाटा पसरा हुआ है। वहीं, आगामी अमरनाथ यात्रा को लेकर तैयारियों ने रफ्तार पकड़ ली है, परंतु सुरक्षा को लेकर चिंता बरकरार है।

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उमर अब्दुल्लाह ने क्या कहा?

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने मीडिया से बात करते हुए कहा:

“अमरनाथ यात्रा इस बार दो पारंपरिक मार्गों — सोनमर्ग-बालटाल और पहलगाम — से संचालित की जाएगी। हमारी पूरी कोशिश है कि सभी श्रद्धालु सुरक्षित और शांतिपूर्ण तरीके से यात्रा करें।”

उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा कि:

“एक बार अमरनाथ यात्रा शांति से हो जाए, फिर हम पर्यटन को दोबारा सुचारु कर पाएंगे।”

हमले के बाद टूटा टूरिज्म का भरोसा

22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद से सैलानियों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई है। कई होटलों में बुकिंग कैंसिल हुई हैं और स्थानीय दुकानदारों की आय पर भी असर पड़ा है।

स्थानीय दुकानदार यूनुस मलिक कहते हैं:

“अचानक सब कुछ ठप हो गया। हम मई-जून की सीज़न का इंतज़ार कर रहे थे, पर अब सिर्फ डर और सन्नाटा है।”

अमरनाथ यात्रा: विश्वास और व्यवस्था की अग्निपरीक्षा

हर साल लाखों श्रद्धालु शिवलिंग के दर्शन के लिए अमरनाथ पहुंचते हैं। इस बार सरकार को श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ आतंकी हमलों की आशंका से निपटने की दोहरी चुनौती है।

अब तक के प्रमुख इंतज़ाम:

  • दोनों मार्गों पर सीआरपीएफ और आर्मी की तैनाती

  • ड्रोन सर्विलांस

  • स्थानीय पुलिस द्वारा 24×7 गश्त

  • श्रद्धालुओं के लिए ट्रैकिंग सिस्टम

टूरिस्ट क्या कह रहे हैं?

कुछ पर्यटक अब भी आशावादी हैं।

दिल्ली से आई सुषमा वर्मा कहती हैं:

“हम यहां अमरनाथ बाबा के बुलावे पर आए हैं। सुरक्षा तो सरकार का काम है, लेकिन श्रद्धा डर से बड़ी है।”

पहलगाम का भविष्य: पर्यटन या पलायन?

पहलगाम लंबे समय से कश्मीर पर्यटन का नगीना रहा है। लेकिन हमलों और अस्थिर माहौल के कारण स्थानीय लोगों के सामने अब सवाल है — पर्यटन लौटेगा या पलायन बढ़ेगा?

अमरनाथ यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि कश्मीर के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने से जुड़ा अहम तत्व है। इस बार यात्रा सिर्फ सुरक्षा का इम्तिहान नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के पुनर्निर्माण और विश्वास की परीक्षा भी है।

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